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महामृत्युंजय के जाप

महामृत्युंजय मंत्र, भगवान शिव का एक प्रमुख मंत्र है जिसे अमृत्युंजय मंत्र भी कहा जाता है। यह मंत्र ऋग्वेद में मृत्युंजय रूप महादेव के लिए उत्तरतन्त्री गायत्री मंत्र के रूप में प्रस्तुत है।


महामृत्युंजय मंत्र का जाप विशेष ध्यान और भक्ति के साथ किया जाता है। इस मंत्र का उच्चारण समस्त दुःखों और कष्टों को दूर करने में सहायक होता है और जीवन में सुख-शांति का स्रोत बनता है। इस मंत्र का विशेष उद्देश्य मृत्यु के भय को दूर करना है और व्यक्ति को जीवन की समस्याओं से मुक्ति प्रदान करना है।


इस मंत्र का जाप सम्पूर्ण श्रद्धा और निष्ठा के साथ किया जाता है। इसके प्रतिदिन का जाप विशेष ताकत और प्राचीन ऋषियों की कृपा को प्राप्त करने में सहायक होता है। यह मंत्र जीवन में स्थिरता, समृद्धि, और सुख की प्राप्ति के लिए भी उपयोगी है।


ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ।

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