रुद्राभिषेक दो शब्दो से मिलकर बना है, रुद्र यानि भगवान शिव और अभिषेक का मतलब अर्थ है, स्नान कराना, अर्थात भगवान शिव के रुद्र रूप को रुद्र मंत्रो के द्वारा स्नान कराना ही रुद्राभिषेक पूजन कहलाता है। भगवान शिव को प्रसन्न करने एवं उनके शुभाशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए रुद्राभिषेक किया जाता है। हिन्दू धर्म की मान्यताओ के अनुसार अभिषेक को बहुत अधिक महत्वपूर्ण माना गया है। अभिषेक के द्वारा आप अपनी सभी बाधाओ एवं समस्याओ को पूर्ण रूप से समाप्त कर जीवन मे सफलता प्राप्त कर सकते है।
रुद्राभिषेक क्यो किया जाता है?
ऐसा माना जाता है, की केवल भगवान शिव के रुद्र अवतार की पुजा से ही सभी देवी देवताओ की पुजा स्वतः ही हो जाती है। हमारी कुंडली से पातक कर्म एवं महापातक कर्म भी रुद्राभिषेक से जलकर नष्ट हो जाते है तथा जो भी साधक रुद्राभिषेक करता है, उसमे शिवत्व उदित होता है। रुद्रहृदयोपनिषद के एक श्लोक मे भगवान शिव के रुद्र अवतार का वर्णन कुछ इस प्रकार है, सर्वदेवात्मकों रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका इसका अर्थ है की सभी देवताओ की आत्मा मे रुद्र विद्यमान है, और सभी देवता रुद्र की आत्मा है। शास्त्रो मे रुद्राभिषेक द्वारा विविध कामनाओ की पूर्ति के लिए अलग – अलग द्रव्यों तथा पूजन सामग्री का वर्णन है। किसी खास मनोरथ की प्राप्ति के लिए मनोरथ अनुसार पूजन सामग्री से रुद्राभिषेक किया जाता है।
रुद्राभिषेक के लिए पूजन सामग्री-
विविध कामनाओ की पूर्ति के लिए निम्नानुसार द्रव्यों तथा पूजन सामग्री द्वारा रुद्राभिषेक किया जाता है।
शक्कर मिश्रित जल से रुद्राभिषेक करने से पुत्र प्राप्ति होती है।
निरोगी स्वास्थ के लिए गौ दुग्ध तथा शुद्ध घी से अभिषेक करना चाहिए।
पातक तथा महापातक कर्मो को शहद द्वारा रुद्राभिषेक करके नष्ट किया जा सकता है।
पवित्र नदी के जल से अभिषेक करने से मोक्ष प्राप्त होता है।
किसी बीमारी को ठीक करने के लिए इत्र मिश्रित जल से अभिषेक किया जाना जाता है।
भवन एवं वाहन के लिए दही से रुद्राभिषेक करना है।
शहद एवं घी से रुद्राभिषेक करने से धनवृद्धि होती है।
रुद्राभिषेक से योग्य एवं विद्वान संतान मिलती है।
गन्ने के रस से अभिषेक करने से लक्ष्मी जी घर मे निवास करती है।
दुग्धाभिषेक करने से प्रमेह रोग जल्द समाप्त होता है।
शक्कर मिश्रित दूध से अभिषेक करने से मूर्ख व्यक्ति भी बुद्धिमान बन जाता है।
दुश्मन को पराजित करने के लिए सरसो के तेल से अभिषेक किया जाता है।
क्षयरोग को दूर करने के लिए शहद से अभिषेक करना चाहिए।
वंश के विस्तार के लिए घी की धारा से सहस्त्रनाम मंत्रो का उच्चारण करते हुये रुद्राभिषेक किया जाता है।
गौ दुग्ध तथा शुद्ध घी से अभिषेक करने पर आरोग्यता प्राप्त होती है।
शक्कर मिश्रित जल से अभिषेक करने पर पुत्र प्राप्ति होती है।
गंगा जल या शीतल जल से रुद्राभिषेक करने पर बुखार ठीक हो जाता है।
रुद्राभिषेक करके आप शिव से मनचाहा वरदान पा सकते हैं. क्योंकि शिव के रुद्र रूप को बहुत प्रिय है
रुद्राभिषेक पूजा क्या है?
रुद्राभिषेक दो शब्दो से मिलकर बना है, रुद्र यानि भगवान शिव और अभिषेक का मतलब अर्थ है, स्नान कराना, अर्थात भगवान शिव के रुद्र रूप को रुद्र मंत्रो के द्वारा स्नान कराना ही रुद्राभिषेक पूजन कहलाता है। भगवान शिव को प्रसन्न करने एवं उनके शुभाशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए रुद्राभिषेक किया जाता है। हिन्दू धर्म की मान्यताओ के अनुसार अभिषेक को बहुत अधिक महत्वपूर्ण माना गया है। अभिषेक के द्वारा आप अपनी सभी बाधाओ एवं समस्याओ को पूर्ण रूप से समाप्त कर जीवन मे सफलता प्राप्त कर सकते है।
रुद्राभिषेक क्यो किया जाता है?
ऐसा माना जाता है, की केवल भगवान शिव के रुद्र अवतार की पुजा से ही सभी देवी देवताओ की पुजा स्वतः ही हो जाती है। हमारी कुंडली से पातक कर्म एवं महापातक कर्म भी रुद्राभिषेक से जलकर नष्ट हो जाते है तथा जो भी साधक रुद्राभिषेक करता है, उसमे शिवत्व उदित होता है। रुद्रहृदयोपनिषद के एक श्लोक मे भगवान शिव के रुद्र अवतार का वर्णन कुछ इस प्रकार है, सर्वदेवात्मकों रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका इसका अर्थ है की सभी देवताओ की आत्मा मे रुद्र विद्यमान है, और सभी देवता रुद्र की आत्मा है। शास्त्रो मे रुद्राभिषेक द्वारा विविध कामनाओ की पूर्ति के लिए अलग – अलग द्रव्यों तथा पूजन सामग्री का वर्णन है। किसी खास मनोरथ की प्राप्ति के लिए मनोरथ अनुसार पूजन सामग्री से रुद्राभिषेक किया जाता है।
रुद्राभिषेक के लिए पूजन सामग्री-
विविध कामनाओ की पूर्ति के लिए निम्नानुसार द्रव्यों तथा पूजन सामग्री द्वारा रुद्राभिषेक किया जाता है।
शक्कर मिश्रित जल से रुद्राभिषेक करने से पुत्र प्राप्ति होती है।
निरोगी स्वास्थ के लिए गौ दुग्ध तथा शुद्ध घी से अभिषेक करना चाहिए।
पातक तथा महापातक कर्मो को शहद द्वारा रुद्राभिषेक करके नष्ट किया जा सकता है।
पवित्र नदी के जल से अभिषेक करने से मोक्ष प्राप्त होता है।
किसी बीमारी को ठीक करने के लिए इत्र मिश्रित जल से अभिषेक किया जाना जाता है।
भवन एवं वाहन के लिए दही से रुद्राभिषेक करना है।
शहद एवं घी से रुद्राभिषेक करने से धनवृद्धि होती है।
रुद्राभिषेक से योग्य एवं विद्वान संतान मिलती है।
गन्ने के रस से अभिषेक करने से लक्ष्मी जी घर मे निवास करती है।
दुग्धाभिषेक करने से प्रमेह रोग जल्द समाप्त होता है।
शक्कर मिश्रित दूध से अभिषेक करने से मूर्ख व्यक्ति भी बुद्धिमान बन जाता है।
दुश्मन को पराजित करने के लिए सरसो के तेल से अभिषेक किया जाता है।
क्षयरोग को दूर करने के लिए शहद से अभिषेक करना चाहिए।
वंश के विस्तार के लिए घी की धारा से सहस्त्रनाम मंत्रो का उच्चारण करते हुये रुद्राभिषेक किया जाता है।
गौ दुग्ध तथा शुद्ध घी से अभिषेक करने पर आरोग्यता प्राप्त होती है।
शक्कर मिश्रित जल से अभिषेक करने पर पुत्र प्राप्ति होती है।
गंगा जल या शीतल जल से रुद्राभिषेक करने पर बुखार ठीक हो जाता है।